
बसंत पंचमी की कथा | Basant Panchami Ki Katha |basant panchami ki kahani | saraswati mata ki kahani
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नमस्कार दोस्तों, आज बसंत पंचमी का पावन त्यौहार है। आप सभी को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी अर्थात श्री पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन से ऋतुराज बसंत का आगमन होता है। इसके साथ ही इस दिन मां सरस्वती की उपत्ति भी हुई थी। यह दिन विद्यार्थियों, कला, संगीत आदि क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बेहद खास है।
पुराणों के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार बांसुरी को अधरों से लगाया तो मां सरस्वती स्वयं उस बांसुरी में विराजमान हो गई थीं। तब मां सरस्वती से प्रसन्न होकर मुरलीधर कृष्ण ने उन्हें वसंत पंचमी के दिन पूजे जाने का वरदान दिया तभी से इस वरदान के फलस्वरूप भारत देश में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी। बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना बहुत ही शुभ मानते है. इस दिन पीले चावल या पीले रंग का भोजन मक्की की रोटी / सरसों का साग /खिचड़ी खाई जाती है. बसंत पंचमी के दिन लोग ‘पतंग महोत्सव’ मनाते है। बसंत पंचमी का दिन विद्या आरंभ या किसी भी शुभ कार्य के लिए बेहद उत्तम माना जाता है।
प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।
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